दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए बैलेट पेपर के पुराने तरीके का ही इस्तेमाल होता है. इसकी वजह चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को हर लिहाज से सुरक्षित रखना है. यही वजह है कि सारी संचार और तकनीक बदलावों के बावजूद यहां मतदान होने के तुरंत बाद राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे नहीं आ पाते. जैसे इसी बार तीन नवंबर को मतदान होने के बाद लगातार वोटों की गिनती जारी है, अब तक अंतिम नतीजे नहीं आ पाए हैं. इसके मुकाबले भारत में संसदीय चुनाव के नतीजे एक ही दिन में घोषित हो जाते हैं. यह अलग बात है कि चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के इस्तेमाल और चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता अक्सर सवालों के घेरे में आती रहती है.
जीत के मुहाने पर इंतजार जारी
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए 50 राज्यों में से पांच राज्यों को छोड़कर बाकी जगहों पर वोटों की गिनती का काम पूरा हो चुका है. राष्ट्रपति के नाम पर अंतिम मुहर जिन राज्यों को लगानी है, उनमें एरिजोना, जॉर्जिया, नवादा, पेंसिल्वेनिया और उत्तरी कैरोलिना है. इन राज्यों में वोटों की गिनती जारी है. अगर उम्मीदवारों को मिले वोटों की बात करें तो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 214 इलेक्ट्रोरल वोट मिले हैं, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन को 264 इलेक्ट्रोरल वोट मिल चुके हैं. यहां राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए 270 इलेक्ट्रोरल वोट मिलने जरूरी हैं. यानी जो विडेन राष्ट्रपति बनने से महज छह इलेक्ट्रोरल वोट की दूरी पर खड़े हैं.
जब 12 दिसंबर तक इंतजार चला था
अमेरिका में यह पहला मौका नहीं है, जब राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने में इतनी देरी हो रही है. अमेरिकी संविधान, कानून या अदालत के आदेश से ऐसी कोई पाबंदी नहीं है कि राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे मतदान की तारीख वाली रात में ही घोषित हो जाएं. वास्तव में, 19वीं सदी में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे घोषित होने में अक्सर कई-कई दिन लग जाते थे. दरअसल, यहां राज्य दर राज्य वोटों की गिनती होती है, जिसमें इतना समय लगना स्वाभाविक है. अगर हालिया वर्षों में चुनाव के नतीजे आने में सबसे ज्यादा देरी की बात करें तो साल 2000 में ऐसा हुआ था। तीन नवंबर को मतदान हुआ था, लेकिन लोगों को 12 दिसंबर तक पता नहीं लग पाया था कि कौन अगला राष्ट्रपति बनेगा.
मतदान की प्रक्रिया में बदलाव
कोरोना संकट की वजह से इस बार राष्ट्रपति चुनाव में मतदान के विकल्पों में कुछ बदलाव किए गए थे. कई राज्यों ने मतदाताओं को सीधे मतदान केंद्र पर आने की जगह पर पोस्टल बैलेट का इस्तेमाल करने की छूट दी. गौरतलब है कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए भारत में चुनाव आयोग जैसी कोई अलग से संस्था काम नहीं करती है, बल्कि यहां यह काम राज्यों की सरकारों को ही करना होता है. राज्य सरकारें ही प्रांतों और स्थानीय निकायों के चुनाव भी कराती हैं. इसलिए अमेरिकी संविधान राज्य सरकारों को मतदान प्रबंधन की पूरी छूट देता है. इससे यहां अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग मतदान प्रक्रिया सामने आती है.
120 साल में सबसे ज्यादा मतदान
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने में देरी के लिए डाक मतपत्रों को भेजने के लिए तय की गई समय सीमा जिम्मेतार बताया जा रहा है. यहां एरिजोना राज्य ने मतदाताओं को तीन नवंबर की रात तक डाक मतपत्र भेजने की छूट दी थी. वहीं, ओहियो ने 13 नवंबर तक डाक मत-पत्र स्वीकार करने का फैसला किया था, लेकिन इसे दो नवंबर से पहले भेजना जरूरी था. इन्हीं वोटों की गिनती में सबसे ज्यादा टाइम लग रहा है.
एक बात और, अमेरिका में इस बार मतदान ने 120 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. अमेरिका में चुनाव पर नजर रखने वाली संस्था यूएस इलेक्शन प्रोजेक्ट के मुताबिक, इस साल लगभग 24 करोड़ नागरिक मतदान करने योग्य थे, जिनमें से 16 करोड़ लोगों ने मतदान किया. इससे तीन नंबर को हुए मतदान में वोटर टर्नआउट 66.9 फीसदी पहुंच गया, जो 1900 के बाद सबसे अधिक मतदान प्रतिशत है. साल 1900 में 73.7 फीसदी मतदान हुआ था. 2016 में मतदान प्रतिशत 56 तो 2008 में 58 फीसदी था. इस साल राष्ट्रपति चुनाव के लिए 20 राज्यों में 70 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है.
राष्ट्रपति ट्रंप का ऐलान
भले ही अभी वोटों की गिनती जारी हो लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बुधवार सुबह ही अपने जीतने का ऐलान कर चुके है. समर्थकों से मुखातिब डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था, ‘हम चुनाव जीतने जा रहे हैं, बस औपचारिकता ही बाकी है.’ उन्होंने पेंसिल्वेनिया में रात में वोटों की गिनती होने पर सवाल उठाया था और कोर्ट में जाने की भी धमकी दी थी. इस बीच ट्रंप ने चुनाव प्रक्रिया में धांधली के आरोप भी लगाए हैं. उन्होंने कहा, ‘अगर वैध वोटों को गिनेंगे तो मैं आसानी से जीत जाऊंगा. अगर अवैध वोट गिने जाते हैं वे हमसे चुनाव छीन सकते हैं.’ हालांकि, उन्होंने इसके लिए कोई सबूत नहीं दिए हैं.
उधर, डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी जो बिडेन ने एक-दूसरे पर विश्वास बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने कहा, ‘कल फिर साबित हो गया कि लोकतंत्र इस देश की धड़कन है….महामारी के बावजूद लोगों ने बड़े पैमाने पर मतदान किया, जो अमेरिका के इतिहास में अभूतपूर्व है.’ इस बीच नतीजे घोषित होने के बाद हिंसा होने की आशंका को देखते हुए कई राज्यों ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.