संसद के बजट सत्र को लेकर तैयारियां तेजी से चल रही हैं. इस बीच लोक सभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, एनडीएमसी, सीपीडब्ल्यूडी, डीआरडीओ, आईसीएमआर, एम्स, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. यह बैठक संसद के ग्रन्थालय भवन में हुई. इसमें आगामी बजट सत्र से संबंधित व्यवस्थाओं पर चर्चा की गई है. इस सत्र का पहला चरण 29 जनवरी से 15 फरवरी 2021 तक और दूसरा चरण 8 मार्च 2021 से 8 अप्रैल 2021 तक चलेगा.
मानसून सत्र की तर्ज पर बजट सत्र
इस बैठक के दौरान लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला को बताया गया कि सितंबर 2020 में वैश्विक महामारी के बीच आयोजित मानसून सत्र के दौरान विकसित की गई कोविड संबंधी सभी मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को बजट सत्र में भी जारी रखा जाएगा. मानसून सत्र में लोक सभा और राज्य सभा की कार्यवाही साथ-साथ नहीं, बल्कि अलग-अलग पालियों में चलाई गई थी. संसद सदस्यों को शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए दोनों सदनों और दर्शक दीर्घा में बैठने के प्रबंधन किए गए थे.
सांसदों के लिए आपात चिकित्सा की व्यवस्था
बजट सत्र के सभी संसद सदस्यों के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट 27 और 28 जनवरी 2021 को संसद भवन परिसर (पीएचसी) में किए जाएंगे. पीएचसी के अलावा अन्य स्थानों पर भी जांच की जाएगी. इनमें नॉर्थ एवेन्यू, साउथ एवेन्यू, बीडी मार्ग शामिल हैं. अगर किसी संसद सदस्य को तत्काल कोविड इलाज की जरूरत पड़ती है तो उसके लिए आपातकालीन वार्ड आरएमएल अस्पताल में उपलब्ध कराए जाएंगे.
12 दिन और 21 दिनों के दो चरणों में बजट सत्र
बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि सत्र के पहले चरण में लोक सभा में 12 और सत्र के दूसरे चरण में 21 बैठकें होंगी. इस सत्र के दौरान प्रश्नकाल और शून्यकाल को आयोजित किया जाएगा. बिरला ने यह भी बताया कि सदन की कार्यवाही के दौरान सभी कोविड दिशा-निर्देश लागू रहेंगे और सारे कोवि-19 प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा. सांसदों के कोविड टीकाकरण के बारे में पूछे जाने पर ओम बिरला ने कहा कि टीकाकरण की प्रक्रिया सरकार की नीति के अनुसार ही आगे बढ़ेगी.
कृषि कानूनों पर गतिरोध जारी
केंद्र सरकार ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया था. विपक्ष ने सरकार पर किसानों के सवालों से बचने के लिए संसद सत्र टालने का आरोप लगाया था. मानसून सत्र में पारित तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ कई राज्यों से आए किसान दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं. किसान इन कानूनों को तत्काल वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाला कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, सरकार ने अपने रुख में नरमी लाते हुए कृषि कानूनों को अगले एक साल के लिए टालने और एमएसपी की गारंटी देने पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने की पेशकश की है. किसानों ने इसे मानने से इनकार कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त समिति ने की बैठक
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की चिंता समझने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है. इस समिति की पहली बैठक 19 जनवरी को दिल्ली में हुई है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस समिति में शामिल किए गए किसान नेता भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इससे अलग कर लिया था. उन्होंने कहा था कि वे आंदोलनरत किसानों के साथ हैं. हालांकि, इससे पहले उन्होंने कृषि कानूनों को लाभकारी बताते हुए इसके समर्थन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र भी सौंपा था.
ट्रैक्टर रैली के लिए अड़े किसान
अपने आंदोलन को दो महीने पूरे होने पर यानी 26 जनवरी को किसानों ने दिल्ली में आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया है. किसानों ने यह भी कहा है कि उनकी इस ट्रैक्टर रैली से गणतंत्र दिवस की परेड कहीं से भी प्रभावित नहीं होगी. हालांकि, पुलिस प्रशासन ने अब तक इसके लिए किसानों को इजाजत नहीं दी है.