देश में महिलाओं में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. यह जानकारी केंद्र सरकार ने लोक सभा में केरल के करूर से सांसद एस. जोतिमणि के सवालों के जवाब में दी है. सांसद जोतिमणि ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग से पूछा था कि (1) क्या महिलाओं में कैंसर की दर बढ़ रही है, अगर हां तो उसका ब्यौरा क्या है, (2) सरकार ने महिलाओं में कैंसर के मामले पता लगाने के लिए क्या कोई अध्ययन कराया है, (3) सरकार ने महिलाओं में कैंसर रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं और (घ) सरकार द्वारा कैंसर के इलाज को और अधिक किफायती बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
कैंसर के कितने मामले बढ़े
सांसद जोतिमणि के सवालों का लिखित जवाब केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने दिया. उन्होंने बताया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री रिपोर्ट-2020 के अनुसार देश में महिलाओं में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या बढ़ रही है. उनके जवाब के मुताबिक, 2018 और 2019 में महिलाओं में कैंसर के अनुमानिक मामले छह लाख 77 हजार और छह लाख 95 हजार थे, जो 2020 में बढ़कर सात लाख 12 हजार से ज्यादा हो गए. (देखें टेबल)
भारत में (साल 2018-2020 में) महिलाओं में कैंसर के मामले |
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साल | 2018 | 2019 | 2020 |
कैंसर के अनुमानित मामले | 6,77,627 | 6,95,072 | 7,12,758 |
सरकार के मुताबिक कैंसर होने के कारण
केंद्रीय स्वास्थ्य और और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने अपने जवाब में वृद्ध आबादी, निष्किय जीवन शैली, तंबाकू उत्पादों का सेवन, स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाला आहार और वायु प्रदूषण जैसे कारणो को कैंसर बढ़ाने वाला बताया है. इसकी रोकथाम के प्रयासों के बारे में उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार कैंसर की रोकथाम और नियंत्रण में राज्य सरकारों का सहयोग करती है. इसके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत जिलास्तर पर राष्ट्रीय कैंसर, मधुमेह, हृदय संबंधी रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) को लागू किया गया है, जिसमें कैंसर रोकने के लिए जांच, शीघ्र पहचान के लिए जागरूकता लाना और इलाज के लिए उचित स्तर के संस्थान को रेफर करना शामिल है. इसमें स्तन, गर्भाशय और मुंह के कैंसर पर अधिक ध्यान दिया जाता है.
सभी जिलों में क्लीनिक बनाए गए
केंद्रीय स्वास्थ्य और और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि कैंसर समेत एनसीडी (गैर-संचारी रोग) की चुनौतियों से निपटने के लिए लागू एनपीसीडीसीएस के तहत जिलास्तर पर 638 एनसीडी क्लीनिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 4464 एनसीडी क्लीनिक बनाए गए हैं. उन्होंने बताया कि एनएचएम के तहत, प्रथम और द्वितीयक स्तर के इलाज के लिए फ्री दवा और जांच सेवों के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का सहयोग किया जाता है. कैसर के तृतीयक स्तर के इलाज को मजबूत करने के लिए 19 राज्य कैंसर संस्थानों और 20 तृतीयक देखभाल कैंसर केंद्रों (Tertiary Care Cancer Centres) की स्थापना को मंजूरी दी गई है. प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत नए एम्स और अन्य उन्नत संस्थानों में आंकोलॉजी पर ध्यान दिया गया है. इसके अलावा झज्जर, हरियाणा में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की स्थापना और चितरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, कोलकाता को मजबूत बनाया गया है.
आयुष्मान भारत में कैंसर का इलाज शामिल
आयुष्मान भारत योजना के तहत भी कैंसर के इलाज को शामिल किया गया है. इसके अलावा मरीजों को सस्ती दवाएं मुहैया कराने के लिए अस्पतालों में अमृत योजना (Affordable Medicines and Reliable Implants for Treatment) के तहत दीनदयाल आउटलेट खोले गए हैं. राष्ट्रीय आरोग्य योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में कैंसर का इलाज कराने पर गरीब परिवारों को आर्थिक सहायता भी दी जाती है.