कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ किसान आंदोलन जारी है. इसके अलावा दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का बेमियादी धरना भी 26 नवंबर से चल रहा है. इस पर सत्ता पक्ष की ओर से लगातार सवाल उठाये जा रहे हैं. मंगलवार को लोक सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का समर्थन करते हुए दक्षिणी दिल्ली से बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने भी यह सवाल उठाया.
विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘अधीर रजंन चौधरी जी की बात पर आना चाहता हूं. कल वे बड़े परेशान थे, बार-बार कह रहे थे कि किसान धरने पर बैठे हैं। सर, वहां पर वे लोग बैठे हैं जो देश को दीमक की तरह चाट रहे हैं. वे किसान नहीं हैं.’
रमेश बिधूड़ी ने आगे कहा, ‘किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष कौन हैं? वे सीपीएम के नेता हैं. ऑल इंडिया किसान सभा के मुखिया कौन हैं? वे सीपीआई के नेता हैं. पंजाब किसान यूनियन के प्रमुख कौन हैं? वे सीपीआई से संबंध रखते हैं. ग्रीन पीस इंडिया के निदेशक की साथी रही, जिन्हें आंदोलनजीवी कहा गया, वह कौन हैं, जिस पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगाया?
क्या पेड लोग धरना दे रहे हैं
दक्षिणी दिल्ली से बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी यही पर नहीं रुके. उन्होंने कहा, ‘ये कहते हैं कि वहां किसान बैठे हैं. हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर पर, सिंधू बॉर्डर पर कुंडली, सिरसा, जटिकला, गनौली, जनौली, रोसोई, नांगल, सिंधू, सिंगौला, टीकरी, नरेला– इन गांवों में कोई नहीं बैठा है. ये हरियाणा के गांव हैं. यहां पर तीन-तीन मुख्यमंत्रियों ने पेड लोगों को लाकर बैठा दिया है.’
सांसद रमेश बिधूड़ी ने आगे कहा, ‘इसी तरह एक किसान गाजीपुर बॉर्डर पर बैठा हुआ है, उसकी अपनी स्टेटमेंट है, हिदुस्तान अखबार में कि मैं इन कानूनों से खुश हूं, उसके बाद उसको पता नहीं किया मिला कि अब वे वहां डेरा डालकर बैठे हैं.’
दक्षिणी दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी ने विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया और यह भी कहा कि जैसे रावण ने सीताहरण करने के लिए वेश बदला था, विपक्ष वैसे ही काम कर रहा है.
वित्त राज्य मंत्री ने भी उठाया सवाल
वहीं, गुरुवार को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘किसानों को गमुराह करके उनके कंधे पर बंदूक चलाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम का काम करते हैं. लेकिन इससे उनका भला नहीं होगा, क्योंकि नरेंद्र मोदी जी ने कल स्पष्ट किया है कि हमने यह कानून किसानों की आय को दोगनुा करने के लिएए बनाया है.’
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘मंडिया जिसके बारे में राहुल गांधी जी ने कहा, मैं इस सदन के सभी 543 से ज्यादा सांसदों के सामने कहना चाहता हूं कि कोई एक सांसद खड़ा होकर यह बता दे कि किस क्लॉज के तहत मंडी बंद हो सकती है? कोई एक सांसद बताए? कांग्रेस के नेता यहां बैठे हैं. मैं कहना चाहता हूं कि कहां पर लिखा है कि मंडी बंद होगी?’
सांसद ने बिहार का उदाहरण दिया
मंत्री अनुराग ठाकुर के बयान के बीच में बिहार के किशनगंज से सांसद डॉ. मोहम्मद जावेद ने टिप्पणी की. उन्होंने बताया, ‘बिहार में 2006 में यह कानून रद्द किया गया था. उस जमाने में वहां जितनी जितनी सरकारी मंडियां थी, आज उसकी वन टेंथ (10 फीसदी) भी नहीं रह गई हैं. हमारे किसानों का अनाज आधे दाम में भी नहीं बिकता है।’
बिहार में मंडियों के हाल को आधार बनाकर ही किसान तीनों कानूनों की वापसी की मांग कर रहे हैं. हालांकि, सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कहा था कि देश में ‘आंदोलनजीवियों’ की एक जमात पैदा हो गई है. इसे अपरोक्ष रूप से किसान आंदोलन पर सवाल माना गया था.
अनिश्चितकालीन आंदोलन की राह पर किसान
केंद्र सरकार ने मानसून सत्र में तीन कृषि कानूनों को पारित कराया था, जिसका शुरुआत से किसान विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह कानून किसानों की जगह कॉरपोरेट्स को मदद पहुंचाने वाले हैं. इससे आने वाले समय में न केवल मौजूदा मंडी व्यवस्था चौपट हो जाएगी, बल्कि सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद भी बंद कर देगी.
हालांकि, सरकार इन कानूनों से मंडी और एमएसपी खत्म होने की बात से लगातार इनकार कर रही है. फिलहाल किसान तीनों कानूनों की वापसी और एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून के लिए अनिश्चितकालीन आंदोलन की बात कर रहे हैं. हालांकि, इस दौरान पौने दो सौ से ज्यादा किसानों को सर्दी और दूसरी वजहों से जान गंवानी पड़ी है. इसके अलावा धरनास्थलों पर कुछ किसान खुदकुशी भी कर चुके हैं.