लोक सभा

सांसद राहुल गांधी के भाषण में ऐसा क्या था कि पक्ष-विपक्ष सभी रूल बुक लहराने लगे?

संसद के दोनों सदनों – लोक सभा और राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा पूरी हो चुकी है. अब बजट पर चर्चा चल रही है. इसमें भाग लेते हुए गुरुवार को केरल के वयनाड से लोक सभा सांसद राहुल गांधी ने तीनों कृषि कानूनों और किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया. हालांकि, उन्हें सत्ता पक्ष की तरफ से कई मौकों पर व्यवधान झेलना पड़ा.

मंत्रियों और सत्ता पक्ष के सांसदों ने बजट पर चर्चा के दौरान किसानों के मुद्दे पर बात रखने को नियमों का उल्लंघन बताया और उनसे अपना भाषण बजट पर केंद्रित करने के लिए कहा.  इस पर सांसद राहुल गांधी ने कहा, ‘किसान का मुद्दा भी बजट का मुद्दा है. आप उनका आदर कीजिए.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इन तीन (कृषि) कानूनों का कॉन्टेंट और इंटेंट क्या है? पहले कानून का कॉन्टेंट – कोई भी व्यक्ति देश में कहीं भी जितना चाहे उतना अनाज, फल और सब्जी को खरीद सकता है. अगर देश में अनलिमिटेड खरीद होगी तो मंडी में कौन जाएगा? मंडी में कौन जाकर खरीदेगा? पहले कानून का कॉन्टेंट मंडी को खत्म करने का है. इसका लक्ष्य मंडी को खत्म करने का है.’

सांसद राहुल गांधी ने दूसरे कानून का कॉन्टेंट और इंटेंट बताया. उन्होंने कहा, ‘बड़े-बड़े उद्योगपति जितना भी अनाज, जितना भी फल और सब्जी स्टोर करना चाहते हैं, कर सकते हैं, कोई लिमिट नहीं है. दूसरे कानून का कॉन्टेंट इशेंशियल कमोडिटीज एक्ट को खत्म करने का है… दूसरे कानून का कॉन्टेंट जमाखोरी को अनलिमिटेड तरीके से हिंदुस्तान में चालू करने का है.’

सांसद राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘अब तीसरा कानून भी है. तीसरे कानून का कॉन्टेंट.. जब एक किसान हिंदुस्तान के सबसे बड़े उद्योगपति के सामने जाकर, अपने अनाज के लिए, अपनी सब्जी के लिए, अपने फल के लिए, सही दाम मांगे, तो उसे अदालत में नहीं जाने दिया जाएगा.’

‘हम दो हमारे दो’ का नारा और फिर हंगामा

सांसद राहुल गांधी के भाषण पर सत्ता पक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि उन्हें बजट पर बोलना चाहिए. लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने भी उनसे बजट पर बात रखने के लिए कहा.

हालांकि, सांसद राहुल गांधी ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, ‘बहुत पहले फैमिली प्लानिंग का एक नारा था… आपको याद होगा –हम दो हमारे दो …अब मैं इंटेंट की बात करता हूं…जैसे कोरोना दूसरे रूप में आता है, वैसे ही यह नारा दूसरे रूप में आया है. …इस देश को चार लोग मिलकर चलाते हैं.’

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इस बीच में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक बार फिर उनसे कहा कि वे बजट पर अपनी बात रखें. इस पर सांसद राहुल गांधी ने कहा, ‘बजट पर ही आ रहा हूं…हम दो और हमारे दो. नाम सब जानते हैं…यह किसकी सरकार है? हम दो-हमारे दो की है. पहले कानून का इन्टेंट है कि हमारे दो मित्रों में से एक जो सबसे बड़ा मित्र है, उसको पूरे हिंदुस्तान के अनाज, फल और सब्जी को बेचने का अधिकार है…यह है पहले कानून का इन्टेंट. नुकसान किसका होगा?’

उन्होंने आगे कहा, ‘नकुसान ठेले वालों का होगा…नुकसान छोटे व्यापारियों का होगा.. जो लोग मंडी में काम करते हैं, उन लाखों लोगों का होगा. अब दूसरे कानून के इन्टेंट की बात करते हैं…दूसरे कानून का इंटेंट दूसरे मित्र की मदद करना है. दूसरे मित्र को पूरे देश में अनाज, फल और सब्जी की स्टोरेज की मोनोपोली दी जाएगी.’

सांसद राहुल गांधी आगे कहा, ‘आज दूसरा मित्र, हिंदुस्तान का 40 प्रतिशत अनाज, अपने साइलो में रखता है. प्रधानमंत्री कहते हैं कि ऑप्शन (विकल्प) दिए हैं. आपने तीन ऑप्शन दिए हैं. पहला ऑप्शन- भूख, दूसरा ऑप्शन – बेरोजगारी, तीसरा आत्महत्या.’ इस बीच सत्ता पक्ष के सांसदों के अलावा मंत्रियों ने उनके भाषण पर आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि यह कांग्रेस की सभा या चुनावी सभा नहीं है. हालांकि, राहुल गांधी ने अपना भाषण जारी रखा.

‘40 फीसदी अनाज दूसरे मित्र के साइलो में’

सांसद राहुल गांधी ने नए कानूनों से अनाज पर एकाधिकार के खतरे का भी मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, ‘मामला यह है कि हिंदुस्तान का सबसे बड़ा बिजनेस, सबसे बड़ा व्यापार एग्रीकल्चर का है. चालीस फीसदी आबादी इस पर जीती है, इससे जीती है. 40 लाख करोड़ रुपये का धंधा है. इसमें किसानों को फायदा मिलता है. दूसरे कानून का इंटेंट है कि एक व्यक्ति को पूरे अनाज की स्टोरिंग की मोनोपॉली दे दो और जब किसान अपने अनाज का सही दाम मांगने जाए तो वह अनाज मार्केट में डालेगा और किसान से अनाज कम से कम पैसे में खरीदेगा. वही किसान जब कंज्यूमर बनकर अनाज खरीदने जाएगा तो फिर उससे और पैसे लेकर सामान बेचेगा.’

‘यह सदन का अपमान है’

सांसद राहुल गांधी के भाषण के बीच में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दखल दी. उन्होंने कहा, ‘अभी बजट पर चर्चा हो रही है. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर आपने चर्चा समाप्त कर दी. प्रस्ताव पास करके राष्ट्रपति जी को भेज दिया. अब उसी पर चर्चा करके राष्टपति जी का और आपका भी अपमान कर रहे हैं और सदन का भी अपमान कर रहे हैं.’

वहीं, संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने भी व्यवस्था का सवाल (प्वाइंट ऑफ ऑर्डर) उठाया. सदन की कार्यवाही नियमावली का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘रूल 218(2) कहता है कि विनियोग विधेयक पर कोई भी बहस लोक महत्व के विषय या विधेयक में आने वाले अनुदानों में अंतर्निहित प्रशासकीय नीति के ऐसे विषयों तक सीमित रहेगा, जो उस समय न उठाए गए हों, जब संगत अनुदानों की मांगों पर विचार किया जा रहा था.’

उन्होंने इस आधार पर लोक सभा अध्यक्ष से सदस्य को पाबंद करने की अपील की. प्रल्हाद जोशी ने राहुल गांधी से 40 फीसदी अनाज दो पूंजीपतियों के गोदामों में रखने होने की बात का सबूत देने की भी मांग की. इस पर लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बाद में बातों को आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज होने का फैसला करने की बात कही.

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विपक्ष ने भी दिखाई रूल बुक

सत्ता पक्ष की रूल बुक के जवाब में लोक सभा में कांग्रेस के नेता सदन अधीर रंजन चौधरी ने भी नियमावली का हवाला दिया. उन्होंने कहा, ‘रूल 214(3) कहता है कि प्रस्ताव पर या उसमें शामिल संशोधनों पर सामान्य प्रकार की चर्चा की अनुमति दी जा सकेगी, लेकिन अनुदान के ब्यौरे पर सामान्य विषयों को बताने के लिए जरूरी बातों से ज्यादा पर चर्चा नहीं होगी. सर, सामान्य बिंदुओं पर बहस की अनुमति है. यह सामान्य बिंदुओं पर चर्चा है.’

सत्ता पक्ष की तरफ से टोकाटाकी का विरोध करते हुए उन्होंने पूछा, ‘क्या बजट में एग्रीकल्चर कोई मुद्दा नहीं है? अगर बजट में एग्रीकल्चर मुद्दा है तो बजट में एग्रीकल्चर पर चर्चा क्यों नहीं हो सकती है?’

इसके बाद पश्चिम बंगाल के दमदम से सांसद सौगत राय ने भी नियम-349 का उल्लेख करते हुए किसी सदस्य के भाषण के दौरान होने वाली टोकाटाकी को गलत बताया. उन्होंने कहा कि सदस्य राहुल गांधी के भाषण के दौरान सत्ता पक्ष के सांसद लगातार टीका-टिप्पणी कर रहे हैं.

‘हिंदुस्तान के लोगों को भूख से मरना पड़ेगा’

रूल बुक के उल्लेखों और सत्ता पक्ष से टोकाटाकी के बीच राहुल गांधी ने अपना भाषण जारी रखा. उन्होंने कहा, ‘जब ये कानून लागू होंगे, तो जो इस देश के किसान हैं, इस देश के मजदूर हैं, छोटे व्यापारी हैं, इनका धंधा बंद हो जाएगा. इनमें से किसानों के खेत छिन जाएंगे. किसानों को सही दाम नहीं मिलेगा. छोटे दुकानदारों की दुकानदारी बंद हो जाएगी और सिर्फ हम दो- हमारे दो देश को चलाएंगे.’

राहुल गांधी ने आगे कहा कि इससे हिंदुस्तान की फूड सिक्योरिटी (खाद्य सुरक्षा) का सिस्टम खत्म हो जाएगा, एक बार फिर हिंदुस्तान के लोगों को भूख से मरना पड़ेगा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी और यह देश रोजगार नहीं पैदा कर पाएगा. नोटबंदी, जीएसटी और लॉकडाउन जैसे फैसलों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि चंद लोगों को लाभ पहुंचाने का यह पहला प्रयास नहीं है.

‘किसान सिर्फ रास्ता दिखा रहा है’

लगभग 78 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के बारे में सांसद राहुल गांधी ने कहा, ‘यह मत समझिए कि यह किसानों का आंदोलन है, यह किसानों का आंदोलन नहीं है. आपको (सरकार) यह बात अभी समझ में नहीं आई है. यह देश का आंदोलन है. यह किसान सिर्फ रास्ता दिखा रहा है.’

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उन्होंने आगे कहा, ‘किसान अंधेरे में टॉर्च दिखा रहा है, और एक आवाज से पूरा देश उठने वाला है. पूरा देश एक आवाज से हम दो हमारे दो के खिलाफ उठने जा रहा है…किसान एक इंच पीछे हटने वाला नहीं है. किसान आपको हटा देगा, मजदूर आपको हटा देगा, छोटा दुकानदार आपको हटा देगा, मगर वह एक इंच पीछे हटने वाला नहीं है. आपको कानून वापस लेना ही पड़ेगा.’

आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि

अपने भाषण के अंत में राहुल गांधी ने संसद में किसानों की मांगों और आंदोलन पर अलग से चर्चा न कराने का सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और पूरे विपक्ष ने किसानों के मुद्दे पर अलग से चर्चा करने की मांग उठाई थी, लेकिन सरकार ने उसे नहीं माना.

राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘तो प्रोटेस्ट में मैं कह रहा हूं कि मैं बजट पर आज टिप्पणी नहीं करने वाला हूं. आज सिर्फ किसान के मुद्दे पर बोलूंगा. उसके बाद अपना मुंह बंद कर लूंगा. अंत में मैं कहना चाहता हूं कि जो 200 किसान शहीद हुए, उनको इन लोगों ने श्रद्धांजलि नहीं दी. मैं सभी सांसदों से कहना चाहता हूं कि मैं अपने भाषण के बाद दो मिनट शहीदों के लिए मौन रहूंगा. आप मेरे साथ खड़े हो जाइए. धन्यवाद.’ इसके बाद उन्होंने और अन्य सांसदों ने दो मिनट का मौन रखा.

किसानों को श्रद्धांजलि देने पर उठा सवाल

इस तरह से मौन रखने पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने सवाल उठाया. लोक सभा अध्यक्ष ने भी कहा कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है, इसलिए उनके जरिए ऐसा प्रस्ताव लाना चाहिए, वरना हर सदस्य अपनी मर्जी से श्रद्धांजलि देना शुरू कर देगा.

उन्होंने यह भी कहा, ‘आप वरिष्ठ सदस्य हैं. आप सभी ने मुझे अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है. इस तरीके का सदन में व्यवहार करना उचित नहीं है और गरिमामय भी नहीं है.’

सरकार की तरफ से वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने दखल दिया. उन्होंने राहुल गांधी की बजट पर तैयारी न होने और नियमों की जानकारी न होने का आरोप लगाया.

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डेस्क संसदनामा

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