संसद से पारित विवादित कृषि विधेयकों को कानून बनने से रोकने की कवायद जारी है. इसको लेकर विपक्षी दलों की तरफ से राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उन्होंने कहा , ‘(राज्य सभा में) न तो वोटों का कोई विभाजन हुआ और न ही ध्वनिमत (वाइस वोटिंग) ही हुआ. लोकतंत्र के मंदिर में संविधान को कमजोर किया गया. हमने राष्ट्रपति के सामने अपनी बात रखी है कि कृषि विधेयकों को असंवैधानिक तौर पर पारित किया गया है, इसलिए उन्हें इन विधेयकों को लौटा देना चाहिए.” (There was no division of votes, no voice voting. Constitution was undermined in the temple of democracy. We have given a representation to President that Farm Bills have been passed unconstitutionally & he should return these bills)
केंद्र सरकार 5 जून, 2020 को मंडी व्यवस्था में बदलाव, कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग और आवश्यक वस्तु अधिनियम से कई कृषि उपजों को बाहर करने के तीन अध्यादेश लाई थी. इनका तब से किसान और उनके संगठनों के अलावा विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार के इन कदमों से मौजूदा मंडी व्यवस्था तबाह हो जाएगी, जिसका लंबे समय में किसानों को भारी खामियाजा उठाना पड़ेगा. इसके अलावा कोरोना महामारी के बीच जिस तरह से अध्यादेशों को लाया गया और इन्हें बनाने में किसी की कोई राय-मशविरा नहीं किया गया, उस पर भी सवाल उठ रहे हैं. इन विधेयकों पर विवाद इतना ज्यादा है कि सरकार में शामिल शिरोमणि अकाली दल ने इन्हें किसानों के खिलाफ बताया है और इसके विरोध में पार्टी की नेता हरसिमरत कौर अपने मंत्री पद से इस्तीफा तक दे चुकी हैं.
लेकिन लगातार ऐसे विरोध के बावजूद सरकार ने संसद के मानसून सत्र में तीनों अध्यादेशों की जगह लेने वाले विधेयकों को पेश कर दिया. लोक सभा से तीनों विधेयक पारित होकर राज्य सभा में आ गए. रविवार को यहां पर मंडी व्यवस्था और कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग से विधेयकों पर चर्चा के बाद वोटिंग को लेकर विवाद हो गया. विपक्षी दलों का आरोप है कि उन्होंने लगातार इन विधेयकों पर वोट विभाजन कराने की मांग की, लेकिन उन्हें नजरअंदाज करते हुए दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया, जो सदन की कार्यवाही के नियमों का सरासर उल्लंघन है. हालांकि, सत्ता पक्ष ने विपक्षी सांसदों पर सदन में अमर्यादित व्यवहार करने का आरोप लगाया. इस मामले में अगले दिन सदन की मंजूरी से आठ सांसदों को मानसून सत्र की शेष कार्यवाही के लिए निलंबित भी कर दिया गया.
इसके बाद राज्य सभा में विधेयकों को पास करने के तरीके से नाराज विपक्षी दलों ने भी मानसून सत्र की शेष कार्यवाही (दोनों सदनों में) का बहिष्कार कर दिया. उन्होंने अब इस मामले को सड़क पर उठाने का ऐलान किया है. हालांकि, बुधवार को राज्य सभा की कार्यवाही को लगभग आठ दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया.
बुधवार को विपक्षी सांसदों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करने के अलावा संसद परिसर में भी विरोध मार्च निकाला. सांसदों ने अपने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं, जिन पर लिखा था- मैं कृषि विधेयकों के खिलाफ हूं.
#WATCH Opposition MPs hold protest in Parliament premises against the recently passed agriculture Bills pic.twitter.com/ZFPnvacqbu
— ANI (@ANI) September 23, 2020