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संसदीय समाचार

रोजगार के साथ युवाओं को सशक्त बनाएगा निजीकरण : प्रधानमंत्री

सरकारी संपत्ति के निजीकरण से लेकर आम जीवन में सरकार की भूमिका को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो कुछ भी कहा है, वह आने वाले समय में अर्थव्यवस्था और रोजगार से लेकर शासन के चरित्र में आने वाले बदलाव का संकेत देने वाला है.

रोजगार (employment) की बढ़ती मांग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजीकरण से युवाओं को रोजगार मिलने की बात कही.
Photo credit- PIB

युवाओं के लिए रोजगार (employment) से जुड़े हैशटैग (#modi_job_do #मोदी_रोजगार_दो #modi_rajgar_do) सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंडिंग रहे. लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोजगार (employment) दिलाने के उनके पुराने वादों को याद दिलाया. इस बीच बुधवार को (24 फरवरी) प्रधानमंत्री ने निजीकरण पर एक वेबिनार में जो कुछ भी कहा है, वह रोजगार ही नहीं, भविष्य में सरकार के काम करने का  खाका पेश करने वाला है. सरकारी कंपनियों और संपत्तियों के निजीकरण (privatization) की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि निजीकरण से युवाओं को रोजगार (employment) के बेहतर अवसर मिलेंगे.

‘लोगों के जीवन में अनावश्यक दखल को कम करना है’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को एक वेबिनार में निजीकरण को लेकर सरकार की योजना को सामने रखा. उन्होंने बताया कि कैसे सरकार न केवल सरकारी कंपनियों या लोक उद्यमों को चलाने की जिम्मेदारी से अलग होना चाहती है, बल्कि सभी क्षेत्रों को निजी क्षेत्र के लिए खोलने जा रही है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सरकार की कोशिश लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के अलावा लोगों के जीवन में सरकार के अनावश्यक दखल को कम करना है.’ उन्होंने यह भी कहा कि आम जीवन में सरकार की कोई कमी या अनावश्यक प्रभाव नहीं होना चाहिए.

‘देश में बहुत सी संपत्ति मौजूद है’

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि देश में ऐसी बहुत सी ऐसी संपत्तियां मौजूद हैं, जिसका क्षमता से कम उपयोग हुआ है या उपयोग ही नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि सरकार ‘मोनेटाइज एंड मॉडर्नाइज’ के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि निजीकरण से पैदा होने वाली खाली जगह निजी क्षेत्र भरते हैं, जो अपने साथ निवेश और सर्वोत्तम वैश्विक कार्य-व्यवहार को लाते हैं.

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निजीकरण से बेहतर रोजगार मिलेगा

प्रधानमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति के निजीकरण से आने वाले पैसों को कल्याणकारी योजनाओं में इस्तेमाल किया जा सकता है. उनका यह भी कहा कि निजीकरण बेहतर रोजगार (employment)अवसरों के साथ युवाओं को सशक्त बनाएगा. प्रधानमंत्री के मुताबिक, सरकार केवल रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रों को निजीकरण के लिए खोलने के लिए प्रतिबद्ध है.

कारोबार करना सरकार का काम नहीं है

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प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों या लोक उद्यमों को चलाने को लेकर अपनी सरकार की नीति को भी स्पष्ट कर दिया. उन्होंने कहा कि कई लोक उद्यम घाटे में चल रहे हैं और उन्हें चलाने के लिए करदाताओं का पैसा लगाया जाता है, इस कारण से अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ता है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सरकारी कंपनियों को महज इसलिए नहीं चलाया जाना चाहिए, क्योंकि वे इतने वर्षों से चल रही हैं. देश के उद्यमों को हर तरह से समर्थन देना सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन इसी के साथ-साथ यह भी है कि व्यवसाय या कारोबार करना सरकार का काम नहीं है (Government has no business to be in business).’ प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि दुनिया के सबसे बड़े युवा राष्ट्र की जनता की केवल सरकार से ही नहीं, बल्कि निजी क्षेत्र से भी आकांक्षाएं हैं जो कारोबार के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आई है.

विपक्षी दल कांग्रेस ने उठाया सवाल

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकारी कंपनियों में निजीकरण की योजना पर सवाल उठाया है. प्रार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण की खबर को साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘ये ओएलएक्स की सेल एजेंसी है या भारत सरकार.’ कांग्रेस लगातार सरकार पर सरकारी संपत्तियों को औने-पौने दाम पर चंद उद्योगपतियों को बेचने के आरोप लगा रही है.

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विपक्ष के अलावा दूसरे सामाजिक संगठन भी सरकारी कंपनियों के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं. यह मामला संसद के बजट सत्र में भी उठ चुका है.  राज्य सभा सांसद अशोक सिद्धार्थ ने कहा था कि सरकार को निजीकरण के साथ निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए कदम उठाना चाहिए, क्योंकि निजीकरण होने के बाद सरकारी कंपनियों की नौकरियों में मिलने वाला आरक्षण अपने आप खत्म हो जाता है. फिलहाल सरकार निजीकरण से जनता को फायदा होने के दावे कर रही है.

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नियम 255 के तहत तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्य राज्य सभा से निलंबित

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

पेगासस, राज्य सभा

राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को पेगासस जासूसी विवाद को लेकर आसन के सामने तख्तियां लेकर एकत्रित होने वाले तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों को सदन से पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया.

बुधवार की सुबह कार्यवाही शुरू होने के बाद सभापति ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिए गए नोटिस स्वीकार करने और अन्य नोटिस खारिज करने की जानकारी दी. इसके बाद तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समक्ष आकर पेगासस जासूसी विवाद पर चर्चा की मांग करने लगे. इस दौरान कई सदस्य आसन के सामने आ गए.

सभापति ने इन सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील की. उन्होंने कहा कि जो सदस्य आसन के समक्ष आए हैं और तख्तियां दिखा रहे हैं, उनके नाम नियम 255 के तहत प्रकाशित किए जाएंगे और उन्हें पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया जाएगा.

सभापति की चेतावनी के बावजूद शोर-शराबा जारी रहा. इसके बाद सभापति ने आसन की अवज्ञा कर रहे सदस्यों से नियम 255 के तहत सदन से बाहर चले जाने के लिए कहा. उन्होंने स्वयं किसी सदस्य का नाम नहीं लिया, लेकिन राज्य सभा सचिवालय से इन सदस्यों के नाम देने का निर्देश दिया.

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, बाद में संसदीय बुलेटिन में बताया गया कि जिन छह सदस्यों को पूरे दिन के लिए निलंबित किया गया है उनमें तृणमूल की डोला सेन, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांता छेत्री, अर्पिता घोष एवं मौसम नूर शामिल हैं.

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया और आज सुबह उनका आचरण पूरी तरह से अनुचित था. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

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गौरतलब है कि नियम 255 के तहत नाम लिए जाने पर सदस्यों को पूरे दिन के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया जाता है.

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‘सरकार ने विश्वासघात किया है’

19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस स्पाईवेयर के जरिए जासूसीकांड पर चर्चा के साथ ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

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Photo credit- Twitter

संसद में जासूसी सॉफ्टवेयर या स्पाईवेयर पेगासस के जरिए जासूसी (pegasus snoopgate) किए जाने के मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है. प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक करने के बाद इस पर सदन में चर्चा करने की मांग उठाई है। बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोक सभा सांसद राहुल गांधी ने कहा कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल लोकतंत्र की आत्मा पर चोट करना है और इस मामले पर संसद में चर्चा होनी चाहिए.

प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सांसद राहुल गांधी ने दावा किया कि सरकार ने पेगासस पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘हमारी आवाज को संसद में दबाया जा रहा है. हमारा सिर्फ यह सवाल है कि क्या भारत सरकार ने पेगासस को खरीदा?…हां या ना? क्या सरकार ने अपने ही लोगों पर पेगासस हथियार का इस्तेमाल किया ?… हां या ना?’

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक,  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘कहा जा रहा है कि हम संसद की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं. हम संसद को बाधित नहीं कर रहे हैं. हम सिर्फ विपक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी पूरा करना चाह रहे हैं. इस हथियार का उपयोग देश के खिलाफ किया गया है.’

राहुल गांधी ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से पूछना चाहते हैं कि इसका इस्तेमाल लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ क्यों किया गया? पेगासस का मामला राष्ट्रवाद का मामला है। मेरे लिए यह निजता का मामला नहीं है। नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह ने देश के लोकतंत्र की आत्मा पर चोट मारी है। इसलिए हम इस पर चर्चा चाहते हैं।’

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समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि संसद की कार्यवाही नहीं चलने के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है, पेगासस के मुद्दे पर सभी विपक्षी दल एकजुट हैं. वहीं, शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा, ‘यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. सरकार को खुद आगे आकर कहना चाहिए कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं. सरकार ने विश्वासघात किया है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह पहली बार नहीं हो रहा है कि संसद की कार्यवाही नहीं चल रही है. अगर सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर बात नहीं करना चाहती है तो फिर किस पर करना चाहती है.’

बुधवार को संवाददाता सम्मेलन से पहले विपक्षी नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक मार्च किया। इस दौरान उन्होंने पेगासस पर चर्चा के लिए हाथ में तख्तियां ले रखी थीं। पेगासस स्पाईवेयर मोबाइल के जरिए जासूसी करता है.

पिछले दिनों नेताओं से लेकर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की इस स्पाइवेयर के जरिए जासूसी करने की खबरें आई थीं। इसमें सत्ता पक्ष के भी कई नेताओं के शामिल शामिल हैं।

इससे पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में विपक्षी दलों की बैठक हुई. इस बैठक में खड़गे, राहुल गांधी, शिवसेना के संजय राउत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल, द्रमुक के टीआर बालू, राजद के मनोज झा और कई अन्य दलों के नेता मौजूद रहे.

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पेगासस और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है. 19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस जासूसी मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए सरकार के राजी होने पर ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

संसद

पेगासस प्रोजेक्ट जासूसी कांड पर संसद में हंगामा बढ़ने के आसार, विपक्ष ने चर्चा के लिए दिए नोटिस

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांग पर चर्चा के लिए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्य सभा में शून्यकाल के लिए तो कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया है.

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Photo credit- Sanjay Singh Twitter

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांड पर सवाल उठा रहे विपक्षी दल केंद्र सरकार की अब तक की सफाई से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. मंगलवार को कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक, विभिन्न विपक्षी दलों ने इस पर चर्चा का नोटिस दिया है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्य सभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) ने मंगलवार को ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ (Pegasus Project) मीडिया रिपोर्ट पर राज्यसभा में शून्यकाल नोटिस (Zero Hour notice) दिया है.

वहीं, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर (MP Manickam Tagore) ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव (Adjournment motion notice) का नोटिस दिया है.

सोमवार को, आप सांसद संजय सिंह ने पेगासस स्पाइवेयर से सामने आई जासूसी पर नियम-267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था. मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित किए जाने से पहले तीन बार कार्यवाही को रोकना पड़ा था.

गौरतलब है कि रविवार को द वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके पत्रकारों और नेताओं की जासूसी किए जाने का दावा किया गया था. इसके मुताबिक, एक अज्ञात एजेंसी ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके 40 से अधिक भारतीय पत्रकारों की जासूसी की. इनमें हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस और नेटवर्क18 सहित देश के कई समाचार संगठनों के लिए काम करने वाले पत्रकार शामिल हैं. ये पत्रकार रक्षा, गृह मंत्रालय, चुनाव आयोग और कश्मीर से संबंधित मामलों को कवर करते हैं.

इसके अलावा विपक्ष और सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं और मंत्रियों की जासूसी किए जाने के भी आरोप लगे हैं. हालांकि, केंद्र का कहना है कि इस मामले को सरकार से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है. लेकिन जिस कंपनी पर पेगासस स्पाईवेेयर के जरिए जासूसी करने का आरोप है, वह सरकार के साथ ही मिलकर काम करती है.

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संसद के मानसून सत्र का पहला दिन, विपक्ष ने उठाए जनता से जुड़े अहम मुद्दे

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों ने महंगाई और केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को लेकर हंगामा किया. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

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केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक विरोध जारी है. संसद में मानसून सत्र के पहले दिन राज्य सभा में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ आवाज उठाई, जिसके बाद उच्च सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

इससे पहले दिवंगत वर्तमान सदस्यों रघुनाथ महापात्र और राजीव सातव के सम्मान में उच्च सदन की कार्यवाही को एक घंटे के लिए स्थगित किया गया था. इसके बाद कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से पिछले डेढ़ साल से देश की जनता अनिश्चितता के माहौल में जी रही है और कोई नहीं जानता कि यह सब कब तक चलेगा.

उपराष्ट्रपति के संबोधन के बाद प्रधानमंत्री ने सदन में प्रवेश किया. विपक्षी दलों के हंगामे के बीच ही सभापति ने प्रधानमंत्री को अपनी मंत्रिपरिषद के नए सदस्यों का परिचय कराने के लिए कहा. इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्य आसन के निकट पहुंच कर नारेबाजी करने लगे. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

इस हंगामे के कारण प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद के सदस्यों का परिचय नहीं करा पाए और उन्होंने नये मंत्रियों की सूची को सदन के पटल पर रख दिया.

विपक्षी दलों का हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही को मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

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