कृषि कानूनों को लेकर किसान आंदोलन लगातार विस्तार ले रहा है. छह फरवरी को देश भर में 12 बजे से तीन बजे तक चक्का जाम के बीच जगह-जगह पर किसान महापंचायतें कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का अनिश्चितकालीन धरना जारी है.
किसानों ने खोला नया मोर्चा
इस बीच किसानों ने सत्ताधारी दल के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है. आगरा में किसानों की एक खाप पंचायत ने नौ विधायकों और दो सांसदों से कहा है कि या तो किसानों के समर्थन में पत्र जारी करें या फिर सामाजिक बहिष्कार झेलें. खाप पंचायत ने इसके लिए सांसदों और विधायकों को एक हफ्ते का समय दिया है.
सभी जिलों में अभियान की तैयारी
भारतीय किसान यूनियन का कहना है कि अब सभी जिलों मेें यह अभियान शुरू किया जाएगा, बीजेपी विधायकों और सांसदों से किसान आंदोलन पर अपनी राय स्पष्ट करने या फिर परिणामों का सामना करने के लिए कहा जाएगा. आगरा में किसानों ने विधायकों और सांसदों के घर के आगे धरना देने का भी ऐलान किया है.
विधायक पूछ रहे कैसे जीतेंगे चुनाव
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, नाम न जाहिर करने की शर्त पर मुजफ्फरनगर से एक बीजेपी विधायक ने कहा, ‘हम लोग कैच 22 (चौतरफा घिरी हुई स्थिति) हालात में फंस गए हैं. अगर किसानों का समर्थन नहीं करते हैं तो 2022 में चुनाव नहीं जीत पाएंगे. हालांकि, हम लोग इस मामले में पार्टी लाइन का उल्लंघन नहीं कर सकते हैं. हमारे नेतृत्व को इसे जल्द से जल्द सुलझाना चाहिए, क्योंकि दोनों ही पक्ष इस मामले में अपने रुख को सख्त किए दिखाई दे रहे हैं.’ किसान संगठन के कई पदाधिकारियों ने किसानों को प्रशासन की ओर से ‘लोगों को उकसाने’ के आरोप में कानूनी नोटिस पर सवाल उठाए हैं.
सड़क से संसद तक आंदोलन
किसानों के चक्का जाम आंदोलन का विपक्षी सांसद भी समर्थन कर रहे हैं. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने कहा, ‘देश का किसान संगठित है, कल देशभर में चक्का जाम है। जब तक तीनों कृषि क़ानून वापस नहीं होंगे, लोकसभा में हमारा विरोध जारी रहेगा। हम सड़क से लेकर लोकसभा तक किसानों के लिए लगे रहेंगे.’
दिल्ली में सीमा जैसी बैरिकेडिंग क्यों
विपक्ष किसानों की मांगों को सही ठहरा रहा है और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहा है. गुरुवार को 15 सांसदों को दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों से मिलने जाने के लिए रोक दिया गया. इन सांसदों में पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर के अलावा एनसीपी की सुप्रिया सुले, डीएमके की कनिमोझी और सौगत राय भी शामिल थीं. सांसद कनिमोझी ने कहा, ‘हमें प्रदर्शन कर रहे किसानों से मिलने से रोक दिया गया. हम संसद में यह सवाल उठाएंगे.’
बीते साल एनडीए और केंद्र सरकार से अलग होने वाली शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर ने कहा, ‘ऐसी बैरिकेडिंग पहली बार देख रहे हैं. दूसरी तरफ के लोगों से मिलना मुश्किल है. ऐसी बैरिकेडिंग आम तौर पर सीमाओं पर देखने को मिलती है. मैं दिल्ली में इन्हें देखकर हैरान हूं.’
संसद में उठ चुका है सवाल
दिल्ली पुलिस ने कई जगहों पर बैरिकेडिंग के साथ कंकरीट की दीवारें खड़ी करवा दी हैं. इसके अलावा प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने के लिए कुछ जगहों पर नुकीली कीलें भी लगवाई हैं. संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कई सांसदों ने संसद में इस मुद्दे को उठाया है.