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संसदीय समाचार

अगर कहीं भी फसल बेचने की आजादी है तो सीएम शिवराज के इस बयान का क्या मतलब है?

मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब हजारों की संख्या में किसान कथित आजादी देने वाले कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ दिल्ली की सीमाओं पर जमा हैं.

फसल बेचने के लिए आने वाले दूसरे राज्यों के किसानों पर कार्रवाई की चेतावनी

हरियाणा में सीएम मनोहर लाल खट्टर के बाद अब मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान का भी दूसरे राज्यों के किसानों को लेकर विवादित बयान सामने आया है. उन्होंने दूसरे राज्यों से मध्य प्रदेश में फसल बेचने आने वाले किसानों पर कार्रवाई करने की बात कही है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, शिवराज सिंह ने कहा, “मैंने तय किया है कि जितनी पैदावार किसान की यहां होगी उतनी खरीद ली जाएगी. लेकिन अगर बाहर से कोई आया, अगल-बगल के राज्यों से बेचने या बेचने का प्रयास भी किया तो उसका ट्रक राजसात करवाकर उसे जे़ल भिजवा दिया जाएगा.”

सीएम खट्टर भी दे चुके हैं चेतावनी

इससे पहले हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने राजस्थान के उन किसानों पर कार्रवाई करने की बात कह चुके हैं, जो ज्वार बेचने के हरियाणा आते हैं. दरअसल, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों का बयान कृषि कानूनों से किसानों को देश में कहीं भी फसल बेचने की आजादी मिलने के केंद्र सरकार के दावे से हवा निकाल रहा है. केंद्र सरकार के दावे के मुताबिक, अगर किसानों को कहीं भी फसल बेचने की आजादी मिल गई है तो राज्य सरकारें उसे कहीं पर भी सरकारी खरीद में अपनी फसल बेचने पर रोक क्यों लगा रही हैं? वैसे भी राज्य सरकारें या उसकी एजेंसियां केंद्र की ओर से अनाज की खरीद करती हैं, इसलिए अपने और दूसरे राज्यों के किसानों के बीच फर्क क्यों किया जा रहा है? ऊपर से कानूनी कार्रवाई की यह धमकी आजादी की किस परिभाषा में आती है?

दिल्ली में जमा हैं किसान

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यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब बड़ी संख्या में किसान केंद्र के कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने की मांग के साथ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. आंदोलनरत किसानों का साफ कहना है कि ये कानून उन्हें नहीं, बल्कि कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं.

दरअसल, सरकार भले ही नए कानूनों से किसानों को अच्छी कीमत मिलने के दावे कर रही हो, लेकिन जून से लेकर अब तक किसानों को लगातार फसलों के सही दाम के लिए भटकना पड़ रहा है. अभी उत्तर प्रदेश जैसे दूसरे सबसे बड़े धान उत्पादक राज्य में किसान खुले बाजार में धान को 1100-1200 रुपये प्रति क्विंटल में बेचना पड़ रहा है, जबकि एमएसपी 1868 रुपये प्रति क्विंटल घोषित है.

किसान मूंग की सरकारी खरीद का इंतजार करते रह गए

इतना ही नहीं, सीएम शिवराज सिंह चौहान का प्रदेश के किसानों का एक-एक दाना अनाज खरीदने का दावा भी प्रदेश के किसानों के गले उतरता नहीं दिखाई दे रहा है. इसी साल सरकार ने किसानों से पहले ग्रीष्मकालीन मूंग खरीदने का वादा किया. लेकिन बाद में सरकार ने यह कहते हुए मूंग की सरकारी खरीद करने के इनकार कर दिया कि उसके गोदाम अभी खाली नहीं हैं. इससे किसानों को एमएसपी के मुकाबले भारी नुकसान उठाना पड़ा.

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सरकारी खरीद की मांग करते रहे मक्का किसान

इतना ही नहीं, प्रदेश में रबी सीजन में मक्का उगाने वाले किसान इसके गिरते दाम से परेशान रहे. उन्होंने मक्के की सरकारी खरीद की मांग करते हुए लंबे समय तक किसान सत्याग्रह चलाया. लेकिन सरकार ने उनकी मांगों पर बिल्कुल ही ध्यान नहीं दिया. इसका नतीजा रहा कि किसानों को 1850 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी होने के बावजूद अपनी मक्के की फसल 900-1000 रुपये प्रति क्विंटल में बेचनी पड़ी.
सही दाम न मिलने की वजह से परेशान किसान लगातार यह मांग कर रहे हैं कि सरकार फसलों न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी मान्यता दे. यानी इससे नीचे से कम दाम पर फसलों की खरीद को कानूनी तौर पर गलत घोषित किया जाए. हालांकि, केंद्र सरकार फिलहाल इसके लिए तैयार नहीं दिखाई दे रही है.

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किसान नेताओं ने उठाया सवाल

सीएम शिवराज सिंह चौहान के बयान और किसानों की सारी फसल खरीदने के दावे किसान नेता तीखे सवाल उठा रहे हैं.  मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राहुल राज ने कहा कि कोरोना काल में जब किसानों को मदद की जरूरत थी तब तो राज्य सरकार ने मक्का और मूंग की खरीद नहीं की, किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा, अब सारी फसलें खरीद करने का भरोसा दिला रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सीएम शिवराज सिंह का यह बयान केंद्र सरकार के ‘वन नेशन-वन मार्केट’ के दावे पर भी सवाल उठा रहा है है, जिसके लिए लाए गए कानूनों के खिलाफ आज देश का किसान सड़कों पर उतरा हुआ है.

संसदीय समाचार

नियम 255 के तहत तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्य राज्य सभा से निलंबित

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

पेगासस, राज्य सभा

राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को पेगासस जासूसी विवाद को लेकर आसन के सामने तख्तियां लेकर एकत्रित होने वाले तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों को सदन से पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया.

बुधवार की सुबह कार्यवाही शुरू होने के बाद सभापति ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिए गए नोटिस स्वीकार करने और अन्य नोटिस खारिज करने की जानकारी दी. इसके बाद तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समक्ष आकर पेगासस जासूसी विवाद पर चर्चा की मांग करने लगे. इस दौरान कई सदस्य आसन के सामने आ गए.

सभापति ने इन सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील की. उन्होंने कहा कि जो सदस्य आसन के समक्ष आए हैं और तख्तियां दिखा रहे हैं, उनके नाम नियम 255 के तहत प्रकाशित किए जाएंगे और उन्हें पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया जाएगा.

सभापति की चेतावनी के बावजूद शोर-शराबा जारी रहा. इसके बाद सभापति ने आसन की अवज्ञा कर रहे सदस्यों से नियम 255 के तहत सदन से बाहर चले जाने के लिए कहा. उन्होंने स्वयं किसी सदस्य का नाम नहीं लिया, लेकिन राज्य सभा सचिवालय से इन सदस्यों के नाम देने का निर्देश दिया.

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, बाद में संसदीय बुलेटिन में बताया गया कि जिन छह सदस्यों को पूरे दिन के लिए निलंबित किया गया है उनमें तृणमूल की डोला सेन, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांता छेत्री, अर्पिता घोष एवं मौसम नूर शामिल हैं.

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया और आज सुबह उनका आचरण पूरी तरह से अनुचित था. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

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गौरतलब है कि नियम 255 के तहत नाम लिए जाने पर सदस्यों को पूरे दिन के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया जाता है.

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संसदीय समाचार

‘सरकार ने विश्वासघात किया है’

19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस स्पाईवेयर के जरिए जासूसीकांड पर चर्चा के साथ ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

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Photo credit- Twitter

संसद में जासूसी सॉफ्टवेयर या स्पाईवेयर पेगासस के जरिए जासूसी (pegasus snoopgate) किए जाने के मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है. प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक करने के बाद इस पर सदन में चर्चा करने की मांग उठाई है। बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोक सभा सांसद राहुल गांधी ने कहा कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल लोकतंत्र की आत्मा पर चोट करना है और इस मामले पर संसद में चर्चा होनी चाहिए.

प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सांसद राहुल गांधी ने दावा किया कि सरकार ने पेगासस पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘हमारी आवाज को संसद में दबाया जा रहा है. हमारा सिर्फ यह सवाल है कि क्या भारत सरकार ने पेगासस को खरीदा?…हां या ना? क्या सरकार ने अपने ही लोगों पर पेगासस हथियार का इस्तेमाल किया ?… हां या ना?’

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक,  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘कहा जा रहा है कि हम संसद की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं. हम संसद को बाधित नहीं कर रहे हैं. हम सिर्फ विपक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी पूरा करना चाह रहे हैं. इस हथियार का उपयोग देश के खिलाफ किया गया है.’

राहुल गांधी ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से पूछना चाहते हैं कि इसका इस्तेमाल लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ क्यों किया गया? पेगासस का मामला राष्ट्रवाद का मामला है। मेरे लिए यह निजता का मामला नहीं है। नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह ने देश के लोकतंत्र की आत्मा पर चोट मारी है। इसलिए हम इस पर चर्चा चाहते हैं।’

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समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि संसद की कार्यवाही नहीं चलने के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है, पेगासस के मुद्दे पर सभी विपक्षी दल एकजुट हैं. वहीं, शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा, ‘यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. सरकार को खुद आगे आकर कहना चाहिए कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं. सरकार ने विश्वासघात किया है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह पहली बार नहीं हो रहा है कि संसद की कार्यवाही नहीं चल रही है. अगर सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर बात नहीं करना चाहती है तो फिर किस पर करना चाहती है.’

बुधवार को संवाददाता सम्मेलन से पहले विपक्षी नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक मार्च किया। इस दौरान उन्होंने पेगासस पर चर्चा के लिए हाथ में तख्तियां ले रखी थीं। पेगासस स्पाईवेयर मोबाइल के जरिए जासूसी करता है.

पिछले दिनों नेताओं से लेकर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की इस स्पाइवेयर के जरिए जासूसी करने की खबरें आई थीं। इसमें सत्ता पक्ष के भी कई नेताओं के शामिल शामिल हैं।

इससे पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में विपक्षी दलों की बैठक हुई. इस बैठक में खड़गे, राहुल गांधी, शिवसेना के संजय राउत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल, द्रमुक के टीआर बालू, राजद के मनोज झा और कई अन्य दलों के नेता मौजूद रहे.

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पेगासस और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है. 19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस जासूसी मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए सरकार के राजी होने पर ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

संसद

पेगासस प्रोजेक्ट जासूसी कांड पर संसद में हंगामा बढ़ने के आसार, विपक्ष ने चर्चा के लिए दिए नोटिस

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांग पर चर्चा के लिए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्य सभा में शून्यकाल के लिए तो कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया है.

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Photo credit- Sanjay Singh Twitter

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांड पर सवाल उठा रहे विपक्षी दल केंद्र सरकार की अब तक की सफाई से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. मंगलवार को कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक, विभिन्न विपक्षी दलों ने इस पर चर्चा का नोटिस दिया है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्य सभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) ने मंगलवार को ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ (Pegasus Project) मीडिया रिपोर्ट पर राज्यसभा में शून्यकाल नोटिस (Zero Hour notice) दिया है.

वहीं, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर (MP Manickam Tagore) ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव (Adjournment motion notice) का नोटिस दिया है.

सोमवार को, आप सांसद संजय सिंह ने पेगासस स्पाइवेयर से सामने आई जासूसी पर नियम-267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था. मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित किए जाने से पहले तीन बार कार्यवाही को रोकना पड़ा था.

गौरतलब है कि रविवार को द वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके पत्रकारों और नेताओं की जासूसी किए जाने का दावा किया गया था. इसके मुताबिक, एक अज्ञात एजेंसी ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके 40 से अधिक भारतीय पत्रकारों की जासूसी की. इनमें हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस और नेटवर्क18 सहित देश के कई समाचार संगठनों के लिए काम करने वाले पत्रकार शामिल हैं. ये पत्रकार रक्षा, गृह मंत्रालय, चुनाव आयोग और कश्मीर से संबंधित मामलों को कवर करते हैं.

इसके अलावा विपक्ष और सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं और मंत्रियों की जासूसी किए जाने के भी आरोप लगे हैं. हालांकि, केंद्र का कहना है कि इस मामले को सरकार से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है. लेकिन जिस कंपनी पर पेगासस स्पाईवेेयर के जरिए जासूसी करने का आरोप है, वह सरकार के साथ ही मिलकर काम करती है.

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संसदीय समाचार

संसद के मानसून सत्र का पहला दिन, विपक्ष ने उठाए जनता से जुड़े अहम मुद्दे

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों ने महंगाई और केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को लेकर हंगामा किया. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

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केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक विरोध जारी है. संसद में मानसून सत्र के पहले दिन राज्य सभा में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ आवाज उठाई, जिसके बाद उच्च सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

इससे पहले दिवंगत वर्तमान सदस्यों रघुनाथ महापात्र और राजीव सातव के सम्मान में उच्च सदन की कार्यवाही को एक घंटे के लिए स्थगित किया गया था. इसके बाद कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से पिछले डेढ़ साल से देश की जनता अनिश्चितता के माहौल में जी रही है और कोई नहीं जानता कि यह सब कब तक चलेगा.

उपराष्ट्रपति के संबोधन के बाद प्रधानमंत्री ने सदन में प्रवेश किया. विपक्षी दलों के हंगामे के बीच ही सभापति ने प्रधानमंत्री को अपनी मंत्रिपरिषद के नए सदस्यों का परिचय कराने के लिए कहा. इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्य आसन के निकट पहुंच कर नारेबाजी करने लगे. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

इस हंगामे के कारण प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद के सदस्यों का परिचय नहीं करा पाए और उन्होंने नये मंत्रियों की सूची को सदन के पटल पर रख दिया.

विपक्षी दलों का हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही को मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

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