किसान एकता मोर्चा की अगुवाई दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का आज 27वां दिन है. कड़ाके की सर्दी के बीच हजारों किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर जमा हैं. इस बीच किसानों ने न केवल क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है, बल्कि 23 दिसंबर को किसान दिवस पर लोगों से एक वक्त खाना न खाने की अपील की है. पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती को किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने आम लोगों से किसानों के आंदोलन में एक वक्त का उपवास रखकर शामिल होने का अनुरोध किया है.
सांसदों-विधायकों के घर थाली आंदोलन
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने बीजेपी विधायकों और सांसदों के घरों का घेराव करने और थाली-घंटी बजाने का ऐलान किया है. पार्टी की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है की इस कार्यक्रम का मकसद केंद्र सरकार को कुंभकरण की नींद से जगाना है, क्योंकि वह लगातार आंदोलनरत किसानों की मांगों की अनदेखी कर रही है. कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अपनी सभी शहर की इकाइयों से इसमें शामिल होने के लिए कहा है.
पंजाब के शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला ने किसान दिवस पर भूख हड़ताल पर बैठने का ऐलान किया है. उन्होंने अपनी भूख हड़ताल को किसानों और आढ़तियों की मांग के समर्थन में बताया है. विजय इंदर सिंगला ने पंजाब के आढ़तियों पर आयकर विभाग की छापेमारी को भद्दी चाल बताया. उन्होंने कहा कि आढ़ती, किसानों को समर्थन दे रहे हैं, जो सत्ताधारी बीजेपी को हजम नहीं हो रही है, लेकिन गैर-कानूनी छापेमारी से आढ़तियों और किसानों के पीढ़ियों पुराने संबंध खत्म नहीं होंगे.
On the occasion of #KisaanDiwas, I shall be sitting on a hunger strike in protest against @BJP4India Govt's unfair farm laws, in complete solidarity with our farmers & arthiyas' demands!
My humble appeal to all to stand in unity against a tyrannical govt & its unjust policies! pic.twitter.com/jCsctV1fnT
— Vijay Inder Singla (@VijayIndrSingla) December 22, 2020
मन की बात के साथ-साथ बजेगी थाली
किसानों ने अपनी मांगों की तरफ सरकार और जनता का ध्यान खींचने के लिए क्रमिक अनशन की शुरुआत की है. सोमवार से सभी धरना स्थलों पर 11-11 किसान 24-24 घंटे की भूख हड़ताल कर रहे हैं. किसानों ने 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम के दौरान बर्तन बजाने का ऐलान किया है. इसकी जानकारी किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान एकता मोर्चा ने दी.
किसान नेता जगजीत सिंह डलेवाल ने कहा, ‘जैसे प्रधानमंत्री ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में थालियां बजवाई थीं, उसी तरह उनके मन की बात कार्यक्रम को शोर में डुबो देने के लिए जितनी देर तक प्रधानमंत्री अपने मन की बात कहते रहें, उतनी देर तक थालियां बजाकर इसका विरोध करते रहें.’ गौरतलब है कि किसान 8 दिसंबर को भारत बंद भी बुला चुके हैं, जिसका विपक्षी दलों ने समर्थन किया था.
किसान एकता मोर्चा का फेसबुक पेज विवाद
किसानों ने अपने आंदोलन की जानकारी देने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. किसान एकता मोर्चा के नाम से फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर अकाउंट बनाए हैं. हालांकि, रविवार को फेसबुक ने किसान एकता मोर्चा का पेज अनपब्लिश कर दिया था. लेकिन अब इस पेज को दोबारा पब्लिश कर दिया गया है. इस पर किसानों की आलोचना झेल रहे फेसबुक ने सफाई दी है. उसका कहना है कि जब किसी पेज पर अचानक लाइक या फॉलोअर्स आने लगते हैं, उसका ऑटोमेटिक सिस्टम इसे रोक देता है, किसान एकता मोर्चा (kisan ekta morcha)के फेसबुक पेज के साथ यही हुआ है, जिसे अब दुरुस्त कर दिया गया है.
आंदोलन का दायरा बढ़ा
इन सब के बावजूद कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में किसान आंदोलन का दायरा लगातार बढ़ रहा है. इसमें हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के अलावा बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के भी किसान शामिल होने का एलान कर चुके हैं. इस बीच सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए नया प्रस्ताव भेजा है. हालांकि, इस बातचीत से कितनी बात बन पाएगी, यह कहना मुश्किल है. कारण कि किसान तीनों केंद्रीय कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग से कम पर समझौते के लिए तैयार नहीं है और सरकार ने अब तक इस मांग को मानने का कोई संकेत नहीं दिया है. इस बीच बीजेपी नेताओं को कई जगहों पर किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. मंगलवार को किसानों ने अंबाला में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को काला झंडा दिखाकर विरोध किया.
सहयोगी उठाने लगे सवाल
केंद्र के सत्ताधारी गठबंधन एनडीए के सहयोगी दल भी कृषि कानूनों पर सवाल उठा रहे हैं और इसका विरोध कर रहे हैं. राजस्थान में नागौर से सांसद हनुमान बेनिवाल ने किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए संसद की तीन समितियों से इस्तीफा दे दिया है. इतना ही नहीं, किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए 26 दिसंबर को दिल्ली जाने का भी ऐलान किया है. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनिवाल अपनी पार्टी के इकलौते सांसद हैं और मौजूदा एनडीए सरकार में शामिल हैं. इससे पहले कृषि कानूनों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल भी एनडीए और केंद्र सरकार से अलग हो चुकी है.