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संसदीय समाचार

संसद के मानसून सत्र का पहला दिन, विपक्ष ने उठाए जनता से जुड़े अहम मुद्दे

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों ने महंगाई और केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को लेकर हंगामा किया. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

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केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक विरोध जारी है. संसद में मानसून सत्र के पहले दिन राज्य सभा में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ आवाज उठाई, जिसके बाद उच्च सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

इससे पहले दिवंगत वर्तमान सदस्यों रघुनाथ महापात्र और राजीव सातव के सम्मान में उच्च सदन की कार्यवाही को एक घंटे के लिए स्थगित किया गया था. इसके बाद कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से पिछले डेढ़ साल से देश की जनता अनिश्चितता के माहौल में जी रही है और कोई नहीं जानता कि यह सब कब तक चलेगा.

उपराष्ट्रपति के संबोधन के बाद प्रधानमंत्री ने सदन में प्रवेश किया. विपक्षी दलों के हंगामे के बीच ही सभापति ने प्रधानमंत्री को अपनी मंत्रिपरिषद के नए सदस्यों का परिचय कराने के लिए कहा. इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्य आसन के निकट पहुंच कर नारेबाजी करने लगे. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

इस हंगामे के कारण प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद के सदस्यों का परिचय नहीं करा पाए और उन्होंने नये मंत्रियों की सूची को सदन के पटल पर रख दिया.

विपक्षी दलों का हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही को मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

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संसदीय समाचार

नियम 255 के तहत तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्य राज्य सभा से निलंबित

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

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राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को पेगासस जासूसी विवाद को लेकर आसन के सामने तख्तियां लेकर एकत्रित होने वाले तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों को सदन से पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया.

बुधवार की सुबह कार्यवाही शुरू होने के बाद सभापति ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिए गए नोटिस स्वीकार करने और अन्य नोटिस खारिज करने की जानकारी दी. इसके बाद तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समक्ष आकर पेगासस जासूसी विवाद पर चर्चा की मांग करने लगे. इस दौरान कई सदस्य आसन के सामने आ गए.

सभापति ने इन सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील की. उन्होंने कहा कि जो सदस्य आसन के समक्ष आए हैं और तख्तियां दिखा रहे हैं, उनके नाम नियम 255 के तहत प्रकाशित किए जाएंगे और उन्हें पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया जाएगा.

सभापति की चेतावनी के बावजूद शोर-शराबा जारी रहा. इसके बाद सभापति ने आसन की अवज्ञा कर रहे सदस्यों से नियम 255 के तहत सदन से बाहर चले जाने के लिए कहा. उन्होंने स्वयं किसी सदस्य का नाम नहीं लिया, लेकिन राज्य सभा सचिवालय से इन सदस्यों के नाम देने का निर्देश दिया.

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, बाद में संसदीय बुलेटिन में बताया गया कि जिन छह सदस्यों को पूरे दिन के लिए निलंबित किया गया है उनमें तृणमूल की डोला सेन, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांता छेत्री, अर्पिता घोष एवं मौसम नूर शामिल हैं.

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया और आज सुबह उनका आचरण पूरी तरह से अनुचित था. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

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गौरतलब है कि नियम 255 के तहत नाम लिए जाने पर सदस्यों को पूरे दिन के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया जाता है.

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संसदीय समाचार

‘सरकार ने विश्वासघात किया है’

19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस स्पाईवेयर के जरिए जासूसीकांड पर चर्चा के साथ ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

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Photo credit- Twitter

संसद में जासूसी सॉफ्टवेयर या स्पाईवेयर पेगासस के जरिए जासूसी (pegasus snoopgate) किए जाने के मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है. प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक करने के बाद इस पर सदन में चर्चा करने की मांग उठाई है। बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोक सभा सांसद राहुल गांधी ने कहा कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल लोकतंत्र की आत्मा पर चोट करना है और इस मामले पर संसद में चर्चा होनी चाहिए.

प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सांसद राहुल गांधी ने दावा किया कि सरकार ने पेगासस पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘हमारी आवाज को संसद में दबाया जा रहा है. हमारा सिर्फ यह सवाल है कि क्या भारत सरकार ने पेगासस को खरीदा?…हां या ना? क्या सरकार ने अपने ही लोगों पर पेगासस हथियार का इस्तेमाल किया ?… हां या ना?’

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक,  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘कहा जा रहा है कि हम संसद की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं. हम संसद को बाधित नहीं कर रहे हैं. हम सिर्फ विपक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी पूरा करना चाह रहे हैं. इस हथियार का उपयोग देश के खिलाफ किया गया है.’

राहुल गांधी ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से पूछना चाहते हैं कि इसका इस्तेमाल लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ क्यों किया गया? पेगासस का मामला राष्ट्रवाद का मामला है। मेरे लिए यह निजता का मामला नहीं है। नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह ने देश के लोकतंत्र की आत्मा पर चोट मारी है। इसलिए हम इस पर चर्चा चाहते हैं।’

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समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि संसद की कार्यवाही नहीं चलने के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है, पेगासस के मुद्दे पर सभी विपक्षी दल एकजुट हैं. वहीं, शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा, ‘यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. सरकार को खुद आगे आकर कहना चाहिए कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं. सरकार ने विश्वासघात किया है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह पहली बार नहीं हो रहा है कि संसद की कार्यवाही नहीं चल रही है. अगर सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर बात नहीं करना चाहती है तो फिर किस पर करना चाहती है.’

बुधवार को संवाददाता सम्मेलन से पहले विपक्षी नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक मार्च किया। इस दौरान उन्होंने पेगासस पर चर्चा के लिए हाथ में तख्तियां ले रखी थीं। पेगासस स्पाईवेयर मोबाइल के जरिए जासूसी करता है.

पिछले दिनों नेताओं से लेकर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की इस स्पाइवेयर के जरिए जासूसी करने की खबरें आई थीं। इसमें सत्ता पक्ष के भी कई नेताओं के शामिल शामिल हैं।

इससे पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में विपक्षी दलों की बैठक हुई. इस बैठक में खड़गे, राहुल गांधी, शिवसेना के संजय राउत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल, द्रमुक के टीआर बालू, राजद के मनोज झा और कई अन्य दलों के नेता मौजूद रहे.

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पेगासस और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है. 19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस जासूसी मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए सरकार के राजी होने पर ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

संसद

पेगासस प्रोजेक्ट जासूसी कांड पर संसद में हंगामा बढ़ने के आसार, विपक्ष ने चर्चा के लिए दिए नोटिस

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांग पर चर्चा के लिए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्य सभा में शून्यकाल के लिए तो कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया है.

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Photo credit- Sanjay Singh Twitter

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांड पर सवाल उठा रहे विपक्षी दल केंद्र सरकार की अब तक की सफाई से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. मंगलवार को कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक, विभिन्न विपक्षी दलों ने इस पर चर्चा का नोटिस दिया है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्य सभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) ने मंगलवार को ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ (Pegasus Project) मीडिया रिपोर्ट पर राज्यसभा में शून्यकाल नोटिस (Zero Hour notice) दिया है.

वहीं, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर (MP Manickam Tagore) ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव (Adjournment motion notice) का नोटिस दिया है.

सोमवार को, आप सांसद संजय सिंह ने पेगासस स्पाइवेयर से सामने आई जासूसी पर नियम-267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था. मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित किए जाने से पहले तीन बार कार्यवाही को रोकना पड़ा था.

गौरतलब है कि रविवार को द वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके पत्रकारों और नेताओं की जासूसी किए जाने का दावा किया गया था. इसके मुताबिक, एक अज्ञात एजेंसी ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके 40 से अधिक भारतीय पत्रकारों की जासूसी की. इनमें हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस और नेटवर्क18 सहित देश के कई समाचार संगठनों के लिए काम करने वाले पत्रकार शामिल हैं. ये पत्रकार रक्षा, गृह मंत्रालय, चुनाव आयोग और कश्मीर से संबंधित मामलों को कवर करते हैं.

इसके अलावा विपक्ष और सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं और मंत्रियों की जासूसी किए जाने के भी आरोप लगे हैं. हालांकि, केंद्र का कहना है कि इस मामले को सरकार से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है. लेकिन जिस कंपनी पर पेगासस स्पाईवेेयर के जरिए जासूसी करने का आरोप है, वह सरकार के साथ ही मिलकर काम करती है.

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संसदीय समाचार

जानिए केंद्र में किसे कौन सा मंत्रालय मिला?

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में 15 कैबिनेट और 28 राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाई. इसमें सात अतिरिक्त महिलाएं शामिल हैं. #cabinetreshuffle #cabinetexpansion #cabinetminister

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Photo Credit- PIB

केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बुधवार को फेबबदल के बाद मंत्रियों के बीच मंत्रालयों का बंटवारा हो गया है. मनसुख मंडाविया को जहां नया स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया है, वहीं नौकरशाह से नेता बने अश्विनी वैष्णव को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है. कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय दिया गया है.

राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी सूचना के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह को नवगठित सहकारिता मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. इसमें बी एल वर्मा को उपमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है. पूर्व वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर का कद बढ़ाते हुए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ-साथ युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय आवंटित किया गया है.

इस फेरबदल के बाद राजनाथ सिंह के पास रक्षा मंत्रालय, निर्मला सीतारमण के पास वित्त मंत्रालय, नितिन गडकरी के पास सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, जबकि सुब्रह्मण्यम जयशंकर के पास विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी को बरकरार रखा गया है.

मनसुख मंडाविया को रसायन और उर्वरक मंत्रालय भी दिया गया है, जबकि अश्विनी वैष्णव को संचार, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है.

पूर्व रेल मंत्री पीयूष गोयल के पास अब वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अलावा कपड़ा मंत्रालय का भी प्रभार है.

अब शिक्षा मंत्रालय का नेतृत्व धर्मेंद्र प्रधान करेंगे. उनके पास कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय का भी प्रभार होगा. राम चंद्र प्रसाद सिंह इस्पात मंत्री, पशुपति कुमार पारस को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और किरण रिजिजू को विधि एवं न्याय मंत्री बनाया गया है.

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हरदीप सिंह पुरी पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय का प्रभार संभालेंगे. नारायण राणे को लघु सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यमिता मंत्रालय और सर्वानंद सोनोवाल को पोत, जहाजरानी, जलमार्ग एवं आयुष मंत्रालय दिया गया है.

पूर्व आयुष राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक को राज्य मंत्री के रूप में अब बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के साथ-साथ पर्यटन मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके अलावा अब तीन गृह राज्य मंत्री होंगे. इनमें नित्यानंद राय, अजय कुमार और निशिथ प्रामाणिक के नाम शामिल हैं.

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वीरेंद्र कुमार सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री, भूपेंद्र यादव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री और श्रम एवं रोजगार मंत्री होंगे और जी किशन रेड्डी संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय का प्रभार दिया गया है.

उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय पहले जितेंद्र सिंह के पास स्वतंत्र प्रभार के रूप में था, लेकिन अभी मंत्रालय को एक कैबिनेट मंत्री मिल गया है.

स्मृति जुबिन इरानी के पास महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, जबकि नरेंद्र सिंह तोमर के पास कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय बरकरार है. प्रल्हाद जोशी संसदीय कार्य मंत्री, कोयला मंत्री और खान मंत्री होंगे.

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय व पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालेंगे. इसके साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में, परमाणु ऊर्जा विभाग में और अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री बने रहेंगे.

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, अजय भट्ट को रक्षा मंत्रालय और और पर्यटन मंत्रालय में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी मिली है. पहली बार लोकसभा सांसद बने मुंजापारा महेंद्रभाई को महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री बनाया गया है.

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दो नए राज्य मंत्रियों-प्रतिमा भौमिक और ए. नारायणस्वामी – को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के रामदास अठावले सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के राज्य मंत्री के रूप में काम करना जारी रखेंगे.

बुधवार को भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र की एनडीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहली बार मंत्रिपरिषद में फेरबदल किया गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में 15 कैबिनेट और 28 राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाई.

मंत्रिपरिषद के इस फेरबदल में सात अतिरिक्त महिलाओं को जगह दी गई है. मीनाक्षी लेखी, शोभा कारंदलजे, दर्शना जरदोश, अन्नपूर्णा देवी, प्रतिमा भौमिक, भारती पवार और अनुप्रिया पटेल ने राज्य मंत्री के तौर पर शपथ ली. इनमें अनुप्रिया को छोड़कर सभी छह नेता पहली बार केंद्रीय मंत्री बनी हैं. इससे केंद्रीय मंत्रिपरिषद में अब महिला मंत्रियों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है.

शपथ ग्रहण समारोह से पहले प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, आईटी एवं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर सहित 12 मंत्रियों से इस्तीफे ले लिए थे.

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