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संसदीय समाचार

क्या आप जानते हैं कि किसानों के समर्थन में सांसद भी 43 दिनों से धरने पर बैठे हैं?

दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ 53 से ज्यादा दिनों से किसानों का आंदोलन चल रहा है. इसके समर्थन में धरने पर बैठे सांसद भी कानूनों को तत्काल वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है
Photo credit - Gurjeet Singh Aujla

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन बीते 54 दिनों से जारी है. देश के कई हिस्सों से किसानों को समर्थन मिल रहा है. किसानों ने अपने आंदोलन में राजनीतिक दलों को शामिल होने की इजाजत नहीं दी है. लेकिन विपक्षी दलों की ओर से किसानों के आंदोलन का समर्थन किया जा रहा है.

पंजाब के कांग्रेस के सांसद और कार्यकर्ता बीते 43 दिनों से किसान आंदोलन के समर्थन में दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हैं. इन सांसदों से 15 जनवरी को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने मुलाकात की थी, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने इन्हें वहां से हटा दिया था.

सांसदों ने दोबारा शुरू किया धरना

हालांकि, इन सांसदों ने पुलिस हिरासत से छूटने के बाद अपना दोबारा धरना शुरू कर दिया. खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठे कांग्रेस सांसद और कार्यकर्ताओं की तस्वीर शेयर करते हुए सांसद गुरजीत सिंह औजला ने ट्विटर पर लिखा, ‘हम अपनी जगह को वीरान नहीं छोड़ेंगे.’  एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘मोडीक्रेसी की नाराजगी को बार-बार झेलने के लिए हमारा किला तैयार है. जब तक वे (जिद) छोड़ते नहीं हैं.’ फिलहाल, किसान जहां दिल्ली की सीमाओं पर, वहीं पंजाब के सांसद जंतर-मंतर पर जमा हैं.

किसान आंदोलन का विपक्षी दलों पर दबाव 

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का राजनीतिक दलों पर असर बहुत ज्यादा है. इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि कृषि कानूनों के मामले में केंद्र सरकार के सहयोगी दलों को भी सरकार का साथ छोड़ना पड़ा है. शिरोमणि अकाली दल, जो शुरुआत में कृषि अध्यादेशों (जिनकी जगह पर बाद में कानून बने) के पक्ष में थी और किसानों के लिए लाभकारी बता रही थी, किसानों का विरोध बढ़ने पर इन कानूनों से किनारा करके विपक्षी दलों के साथ आ गई. इतना ही नहीं, उसने केंद्र सरकार से नाता भी तोड़ लिया,  मंत्री पद भी छोड़ दिया, लोक सभा में विधेयकों का पुरजोर विरोध किया और पंजाब में कृषि कानूनों के खिलाफ रैलियां भी निकाली.

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ऐसा ही कुछ, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ भी हुआ. पार्टी के एकमात्र सांसद हनुमान बेनीवाल ने पहले कृषि कानूनों का समर्थन किया. लेकिन जब किसान आंदोलन ने तूल पकड़ा तो उन्हें भी किसानों के समर्थन में आने और धरने पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा. फिलहाल हनुमान बेनीवाल अपने कार्यकर्ताओं के साथ राजस्थान-हरियाणा के शाहजहांपुर बॉर्डर पर 23 से ज्यादा दिनों से धरने पर बैठे हैं.

किसान आंदोलन को हल्के में न लें

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दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा, ‘दिल्ली के चारों तरफ 6 राज्यों में आंदोलन चल रहा है। यहां लोकसभा की 120 सीट हैं. ये जन आंदोलन है। इसे हल्के में न लें, ये बीजेपी को 2 सीट पर लाकर छोड़ेगा. इस तरह की बयानबाजी से बीजेपी के नेताओं को बाज आना चाहिए.’ किसान आंदोलन के नाम पर पिकनिक मनाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘टीकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर में आंदोलन चल रहा है. यहां कड़कड़ाती ठंड में मैं भी बैठा हूं, यहां कोई चिकन बिरयानी नहीं खा रहा है. 50 से ज्यादा किसानों ने शहादत दी है. सिर्फ अखबार में बयान छपवाने के लिए बीजेपी नेता ऐसी अनर्गल बातें कर रहे हैं. ऐसे बयान नहीं आने चाहिए, यह केवल झूठी लोकप्रियता हासिल करने के लिए बयान दे रहे हैं.’

पार्टी छोड़ने को मजबूर हैं बीजेपी नेता

किसान आंदोलन की वजह से पंजाब में बीजेपी नेताओं पर भी दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. रविवार को बीजेपी के 10 वरिष्ठ कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए. ट्विटर पर सुखबीर सिंह बादल ने लिखा, ‘इन कार्यकर्ताओं ने बीजेपी को चेताया था, लेकिन पार्टी ने उनकी सलाह मानने के बजाए उन्हें कानूनों का ही बचाव करने के लिए कह दिया. खुशी है कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और भगवा पार्टी छोड़ दी. बीजेपी को मालवा इलाके में आने वाले दिनों में एक और झटका लगेगा.’

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कानूनों को पारित करने पर सवाल बरकरार

कृषि कानूनों से कृषि क्षेत्र पर पड़ने वाले असर को लेकर तो विवाद है ही, इसे संसद से पारित कराने के तौर-तरीके पर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं. दरअसल, सितंबर में बुलाए गए मानसून सत्र में भारी हंगामे के बीच कृषि कानूनों को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया था. हालांकि, सांसद लगातार मत विभाजन की मांग कर रहे थे. इसके बाद हंगामा करने वाले आठ सांसदों को अनुशासनहीनता के आरोप में सदन की शेष कार्यवाही के लिए निलंबित कर दिया गया था. यही वजह है कि कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार ने बहुमत का बुलडोजर चलाकर कृषि कानूनों को पारित कराया है.

ट्रैक्टर रैली पर किसान और पुलिस आमने-सामने

फिलहाल आंदोलनरत किसानों के साथ केंद्र सरकार की अब तक की बातचीत बेनतीजा रही है. इस बीच किसानों ने 26 जनवरी को आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया है. किसानों का कहना है कि 26 जनवरी को होने वाली सेना की परेड में किसी भी तरह से कोई व्यवधान नहीं डाला जाएगा. हालांकि, किसानों को रैली निकालने की छूट होगी या नहीं है, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस को अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने की छूट दी है.

बजट सत्र में भी छाया रहेगा सवाल

संसद का बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू होने जा रहा है. इसमें कृषि कानूनों और किसान आंदोलन के अलावा डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों, बेरोजगारी और खस्ताहाल छोटे-मझौले उद्योग जैसे मुद्दे छाए रहने के आसार हैं.

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संसदीय समाचार

नियम 255 के तहत तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्य राज्य सभा से निलंबित

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

पेगासस, राज्य सभा

राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को पेगासस जासूसी विवाद को लेकर आसन के सामने तख्तियां लेकर एकत्रित होने वाले तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों को सदन से पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया.

बुधवार की सुबह कार्यवाही शुरू होने के बाद सभापति ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिए गए नोटिस स्वीकार करने और अन्य नोटिस खारिज करने की जानकारी दी. इसके बाद तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समक्ष आकर पेगासस जासूसी विवाद पर चर्चा की मांग करने लगे. इस दौरान कई सदस्य आसन के सामने आ गए.

सभापति ने इन सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील की. उन्होंने कहा कि जो सदस्य आसन के समक्ष आए हैं और तख्तियां दिखा रहे हैं, उनके नाम नियम 255 के तहत प्रकाशित किए जाएंगे और उन्हें पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया जाएगा.

सभापति की चेतावनी के बावजूद शोर-शराबा जारी रहा. इसके बाद सभापति ने आसन की अवज्ञा कर रहे सदस्यों से नियम 255 के तहत सदन से बाहर चले जाने के लिए कहा. उन्होंने स्वयं किसी सदस्य का नाम नहीं लिया, लेकिन राज्य सभा सचिवालय से इन सदस्यों के नाम देने का निर्देश दिया.

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, बाद में संसदीय बुलेटिन में बताया गया कि जिन छह सदस्यों को पूरे दिन के लिए निलंबित किया गया है उनमें तृणमूल की डोला सेन, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांता छेत्री, अर्पिता घोष एवं मौसम नूर शामिल हैं.

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया और आज सुबह उनका आचरण पूरी तरह से अनुचित था. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

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गौरतलब है कि नियम 255 के तहत नाम लिए जाने पर सदस्यों को पूरे दिन के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया जाता है.

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संसदीय समाचार

‘सरकार ने विश्वासघात किया है’

19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस स्पाईवेयर के जरिए जासूसीकांड पर चर्चा के साथ ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

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Photo credit- Twitter

संसद में जासूसी सॉफ्टवेयर या स्पाईवेयर पेगासस के जरिए जासूसी (pegasus snoopgate) किए जाने के मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है. प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक करने के बाद इस पर सदन में चर्चा करने की मांग उठाई है। बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोक सभा सांसद राहुल गांधी ने कहा कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल लोकतंत्र की आत्मा पर चोट करना है और इस मामले पर संसद में चर्चा होनी चाहिए.

प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सांसद राहुल गांधी ने दावा किया कि सरकार ने पेगासस पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘हमारी आवाज को संसद में दबाया जा रहा है. हमारा सिर्फ यह सवाल है कि क्या भारत सरकार ने पेगासस को खरीदा?…हां या ना? क्या सरकार ने अपने ही लोगों पर पेगासस हथियार का इस्तेमाल किया ?… हां या ना?’

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक,  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘कहा जा रहा है कि हम संसद की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं. हम संसद को बाधित नहीं कर रहे हैं. हम सिर्फ विपक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी पूरा करना चाह रहे हैं. इस हथियार का उपयोग देश के खिलाफ किया गया है.’

राहुल गांधी ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से पूछना चाहते हैं कि इसका इस्तेमाल लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ क्यों किया गया? पेगासस का मामला राष्ट्रवाद का मामला है। मेरे लिए यह निजता का मामला नहीं है। नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह ने देश के लोकतंत्र की आत्मा पर चोट मारी है। इसलिए हम इस पर चर्चा चाहते हैं।’

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समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि संसद की कार्यवाही नहीं चलने के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है, पेगासस के मुद्दे पर सभी विपक्षी दल एकजुट हैं. वहीं, शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा, ‘यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. सरकार को खुद आगे आकर कहना चाहिए कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं. सरकार ने विश्वासघात किया है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह पहली बार नहीं हो रहा है कि संसद की कार्यवाही नहीं चल रही है. अगर सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर बात नहीं करना चाहती है तो फिर किस पर करना चाहती है.’

बुधवार को संवाददाता सम्मेलन से पहले विपक्षी नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक मार्च किया। इस दौरान उन्होंने पेगासस पर चर्चा के लिए हाथ में तख्तियां ले रखी थीं। पेगासस स्पाईवेयर मोबाइल के जरिए जासूसी करता है.

पिछले दिनों नेताओं से लेकर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की इस स्पाइवेयर के जरिए जासूसी करने की खबरें आई थीं। इसमें सत्ता पक्ष के भी कई नेताओं के शामिल शामिल हैं।

इससे पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में विपक्षी दलों की बैठक हुई. इस बैठक में खड़गे, राहुल गांधी, शिवसेना के संजय राउत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल, द्रमुक के टीआर बालू, राजद के मनोज झा और कई अन्य दलों के नेता मौजूद रहे.

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पेगासस और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है. 19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस जासूसी मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए सरकार के राजी होने पर ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

संसद

पेगासस प्रोजेक्ट जासूसी कांड पर संसद में हंगामा बढ़ने के आसार, विपक्ष ने चर्चा के लिए दिए नोटिस

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांग पर चर्चा के लिए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्य सभा में शून्यकाल के लिए तो कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया है.

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Photo credit- Sanjay Singh Twitter

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांड पर सवाल उठा रहे विपक्षी दल केंद्र सरकार की अब तक की सफाई से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. मंगलवार को कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक, विभिन्न विपक्षी दलों ने इस पर चर्चा का नोटिस दिया है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्य सभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) ने मंगलवार को ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ (Pegasus Project) मीडिया रिपोर्ट पर राज्यसभा में शून्यकाल नोटिस (Zero Hour notice) दिया है.

वहीं, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर (MP Manickam Tagore) ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव (Adjournment motion notice) का नोटिस दिया है.

सोमवार को, आप सांसद संजय सिंह ने पेगासस स्पाइवेयर से सामने आई जासूसी पर नियम-267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था. मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित किए जाने से पहले तीन बार कार्यवाही को रोकना पड़ा था.

गौरतलब है कि रविवार को द वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके पत्रकारों और नेताओं की जासूसी किए जाने का दावा किया गया था. इसके मुताबिक, एक अज्ञात एजेंसी ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके 40 से अधिक भारतीय पत्रकारों की जासूसी की. इनमें हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस और नेटवर्क18 सहित देश के कई समाचार संगठनों के लिए काम करने वाले पत्रकार शामिल हैं. ये पत्रकार रक्षा, गृह मंत्रालय, चुनाव आयोग और कश्मीर से संबंधित मामलों को कवर करते हैं.

इसके अलावा विपक्ष और सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं और मंत्रियों की जासूसी किए जाने के भी आरोप लगे हैं. हालांकि, केंद्र का कहना है कि इस मामले को सरकार से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है. लेकिन जिस कंपनी पर पेगासस स्पाईवेेयर के जरिए जासूसी करने का आरोप है, वह सरकार के साथ ही मिलकर काम करती है.

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संसद के मानसून सत्र का पहला दिन, विपक्ष ने उठाए जनता से जुड़े अहम मुद्दे

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों ने महंगाई और केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को लेकर हंगामा किया. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

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केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक विरोध जारी है. संसद में मानसून सत्र के पहले दिन राज्य सभा में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ आवाज उठाई, जिसके बाद उच्च सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

इससे पहले दिवंगत वर्तमान सदस्यों रघुनाथ महापात्र और राजीव सातव के सम्मान में उच्च सदन की कार्यवाही को एक घंटे के लिए स्थगित किया गया था. इसके बाद कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से पिछले डेढ़ साल से देश की जनता अनिश्चितता के माहौल में जी रही है और कोई नहीं जानता कि यह सब कब तक चलेगा.

उपराष्ट्रपति के संबोधन के बाद प्रधानमंत्री ने सदन में प्रवेश किया. विपक्षी दलों के हंगामे के बीच ही सभापति ने प्रधानमंत्री को अपनी मंत्रिपरिषद के नए सदस्यों का परिचय कराने के लिए कहा. इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्य आसन के निकट पहुंच कर नारेबाजी करने लगे. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

इस हंगामे के कारण प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद के सदस्यों का परिचय नहीं करा पाए और उन्होंने नये मंत्रियों की सूची को सदन के पटल पर रख दिया.

विपक्षी दलों का हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही को मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

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